5 शार्ट स्टोरी लघुकथा = विदेशी दूल्हा (जेनर = प्रेम )
लघुकथा शार्ट स्टोरी चैलेंज हेतु
शीर्षक = विदेशी दूल्हा
जेनर = प्रेम
सतनाम वाहेगुरु, बाबा जी मेहर करो कोई चंगा सा विदेश में सेट हुआ मुंडा मेरी कुड़ी वास्ते भी भेज दो रोज़ गुरूद्वारे जाउंगी माथा टेकने पक्का पड़ोस वाली कम्मो की कुड़ी भी कनाडा चली गयी ब्याह कर। मेरी सोनम के वास्ते भी कोई ऑस्ट्रेलियन या कनाडियन मुंडा भेज दो, ताकि मेरी कुड़ी भी विदेश में सेट हो जाए वरना यहाँ गांव में रहेगी तो ज़िन्दगी भर चूल्हे में मुँह देकर अपने मरद के वास्ते रोटियां ही बनाती रहेगी बस इतनी अरदास है मेरी तुझसे । कुलवंत ने सुबह सवेरे उठ कर अपने कमरे में रखी गुरुनानक जी की तस्वीर के आगे माथा टेकते हुए कहा।
"बस करदे कुलवंत और कितनी देर तक यूं ही नानक जी के आगे खड़ी रहेगी मुझे भी माथा टेकना है , एक ही अरदास है तेरी जब से सोनम बड़ी हुयी है कि कोई NRI मुंडा उसे ब्याह ले जाए। मेरी मान गांव के ही किसी अच्छे लड़के से उसकी शादी करा दे दो भाइयो की एकलौती बहन है , नजदीक होगी तो जाकर हाल चाल भी पूछ लेंगे। इन परदेसियो का खून सफ़ेद हो जाता है विदेश जाकर फिर ये अपने वतन , अपनी तहजीब सब बेच खाते है " कुलवंत के पति हरी सिंह ने कहा।
"छड्डो तुस्सी तुम तो हो ही गांव के अपनी सारी ज़िन्दगी यही गाय, भैंस, गोबर खेत में ही गवा दी, तुस्सी क्या जानो विदेश क्या होता है, कनाडा किया होता है। मेने अपनी जवानी इस गांव और इस घर में बेकार कर दी लेकिन सोनम को ऐसा हरगिज़ नही करने दूँगी। मेने कह रखा है एक दो जगह जैसे ही कोई NRI मुंडा मिलेगा मैं उसकी शादी कर दूँगी " कुलवंत ने कहा
"सोनम से भी पूछ लिया है की वो भी विदेश जाना चाहती है शादी के बाद की नहीं या फिर तेरी ही जिद्द है उसे विदेश ब्याहने की " हरी सिंह ने कहा
" क्यू नही जाएगी इतनी सोडी कुड़ी है एवय किसी मुंडे नाल थोड़ी उसका ब्याह कर देना है मेनू, इस पिंड में रखा ही क्या है ना तो कोई पढ़ा लिखा और ना ही सोढा मुंडा है जिसके नाल अपनी सोनम ब्याह सकूँ " कुलवंत ने कहा और चली गयी वहा से।
"वाहेगुरु तुस्सी ही इसे सद्बुद्धि दे सकते हो मुझे डर है की कही ये NRI मुंडे के चक्कर में मेरी सोनम को गलत हाथो में ना भेज दे, ज़माना ख़राब है " हरी सिंह ने गुरुनानक जी की तस्वीर के आगे माथा टेकते हुए कहा।
"बाउजी, बाउजी किधर हो तुस्सी " सोनम ने आवाज़ देते हुए कहा
"सोनम पुत में इधर कमरे में हूँ " हरी सिंह ने कहा
"बाउजी वो पैसे चाहिए थे रिक्शा के कॉलेज जाना है " सोनम ने कहा
हरी सिंह ने पैसे दिए और सोनम पैसे लेकर चली गयी ।
सोनम कॉलेज के बाद गांव के एक लड़के सतविंदर से मिलने जाती है जो की एक बाइक मैकेनिक है । सोनम और सतविंदर एक दूसरे से मोहब्बत करते है । सोनम ने किसी को घर पर नही बताया है ।
सतविंदर उसके घर आज कल में अपनी माँ को उसका हाथ मांगने भेजनें वाला है यही बात वो सोनम से कहता है सोनम खुश थी की सतविंदर मोहब्बत को शादी के बंधन में बांध कर उसे पवित्र करना चाह रहा है ।
दो दिन बाद सतविंदर की माँ सतविंदर के साथ सोनम का हाथ मांगने आती किन्तु कुलवंत उनकी बेइज़्ज़ती करती और कहती " कहाँ मेरी बेटी मलमल जैसी और कहाँ तुम्हारा ये बेटा जो दिन भर गाड़ियों के काले तेल में खुद को गन्दा किए रहता है , बहन जी मखमल में टाट का पेवंद सही नही रहता है । मेनू अपनी कुड़ी किसी NRI मुंडे वास्ते संभाल रखी है मैं ऐनु जिंदगी इस पिंड नाल बर्बाद होते नही देख सकती वही चूल्हा चोखा करते और वही डंगरो का गोबर उठाते मेरी तरफ से ना ही समझो तुस्सी और अपने बेटे के लिए कोई इसी की तरह सावली सी कुड़ी देखों जो इसके साथ मिल सके मेरी कुड़ी नाल इसका कोई जोड़ नही मिलता "
ये सुन सतविंदर और उसकी माँ को गुस्सा आया और वो बोली "अपनी कुड़ी नु संभाल के रख NRI मुंडे वास्ते मेरा मुंडा भी कोई मरा नही जा रहा तेरी कुड़ी वास्ते, देखना एक महीने में तेरी बेटी से खूबसूरत वोट्टी नही ढूंडी अपने पुत नाल तो मेरा नाम भी सतवन्त नही " सतवन्त ने कहा और अपने बेटे का हाथ पकड़ कर चली गयी ।
" बड़ी आयी अपने इस काले मुँह वाले पुत के लिए मेरी सोनम का हाथ मांगने " कुलवंत ने कहा उनके जाने के बाद
"हाय मरजानये ये क्या कर बैठी तू घर आये मेहमान से कोई इस तरह बात करता है । और क्या कमी थी उस सतविंदर में ज़मीन है , घर है हाथ में हुनर है हमारी कुड़ी नु दो वक़्त की रोटी आराम नाल खिला सकता है " हरी सिंह ने कुलवंत से कहा
"तुस्सी चुप रहो ये मेरी बेटी की ज़िन्दगी का मामला है एवे ही किसी के पल्ले नही बांधूगी अपनी सोनम को " कुलवंत ने कहा और चली गयी ।
"बाबा जी तुस्सी ही अब कुछ कर सकते हो, मुझे डर है की कही ये कुछ गलत ना कर बैठे अपनी बेटी के साथ NRI मुंडे के चक्कर में" हरी सिंह ने कहा
सोनम बहुत उदास थी बाहर जो कुछ भी उसकी माँ ने उसके प्यार के साथ किया। अब उन दोनों का मिलन मुश्किल ही नही नामुमकिन था क्यूंकि कोई भी मुंडा अपनी बेइज़्ज़ती वो भी लड़की की माँ से बर्दाश नही कर सकता और वही हुआ जिसका डर था ।
सतविंदर की माँ ने एक सोढ़ी कुड़ी नाल अपने पुत का ब्याह कर दिया। सतविंदर ने भी सिर्फ और सिर्फ कुलवंत के किए अपमान में आकर उस लड़की से शादी की वो मोहब्बत अभी भी सोनम से करता था उसने ये बात अपनी पत्नि को शादी की रात ही बता दी थी किन्तु उसकी पत्नि अच्छी थी । उसने उसके दिल से सोनम की मोहब्बत निकाल कर अपनी मोहब्बत भर दी कुछ ही दिनों में।
एक दिन कुलवंत के घर एक रिश्ते वाली आयी जो की एक NRI कनाडियन मुंडे का रिश्ता लायी जिसे सोनम बहुत पसंद थी।ये सुन कुलवंत की ख़ुशी का कोई ठिकाना नही रहा। मुंडा तस्वीर में बहुत सोढा था एक दम हीरो जैसा।
कुछ ही दिनों में बात आगे बड़ी और वो लड़का जिसका नाम बेहराम सिंह अपनी भाभी किरण कौर और चाची सुमन कौर के साथ एक होटल में आ गया।
आज शाम को वो लोग कुलवंत के घर आ रहे थे । कुलवंत बहुत खुश थी उसका सपना सच होने जा रहा था । उसने रिश्तेदारों में भी किसी को नही बताया ताकि कोई उससे जलन ना करे ।
सोनम उदास थी क्यूंकि उसके दिल में अभी भी सतविंदर के लिए मोहब्बत थी भले ही उसकी शादी हो गयी थी और वो अपनी जिंदगी में ख़ुश भी था । ना चाहते हुए भी सोनम को अपनी माँ की ज़िद्द के आगे घुटने टेकने पड़े ।
शाम हो चली थी बेहराम और उसके परिवार वाले एक बड़ी सी गाड़ी से उतरे जिसे देख कुलवंत की आँखे खुली की खुली रह गयी वो ढेर सारा शगुन भी लाये खूब बाते चीते हुयी। तभी बेहराम ने कहा " अंकल आंटी मैं चाहता हूँ की हम जल्द से जल्द सोनम को अपने साथ कनाडा ले जाए हमारा वहा ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस है । और जल्दी जल्दी आना थोड़ा मुश्किल है अगर आप लोग राज़ी हो तो क्या हम एक हफ्ते बाद शादी कर सकते है "
ये सुन हरी सिंह को कुछ अजीब लगा और बोला "बेटा जी शादी की काफी तैयारी करना होती है दहेज़ इकठा करना होता है , गांव वालो को दावत देना होती है ज़ेवर बनाना होता है , होटल की बुकिंग होती है सब कुछ एक हफ्ते में कैसे होगा "
"भाई साहब ये सब ओल्ड फैशन है गांव वालो को खाना खिलाना , दहेज़ बनाना , ज़ेवर बनाना ये सब भारत में ही चलता है बाहर लोग इतना पैसा बचा कर अपनी बेटी को दे देते है ताकि वो बिज़नेस कर सके और शादी कोर्ट में करते है सिर्फ घर वालो की मौजूदगी में, तो आप लोग भी वही कीजिये वैसे हमारी तो कोई डिमांड नही है वाहेगुरु जी की बड़ी मेहर है मेरे दोनों भतीजो पर, इनके माता पिता मेरे हवाले करके इस दुनिया से विदा हुए थे इन दोनों को मेने ही पाला है और दोनों ने मेहनत करके अपना बिज़नेस बना लिया है ।
अंग्रेजन लड़किया मेरे दोनों भतीजो से शादी करने के लिए राज़ी थी लेकिन इनके माता पिता कह कर गए थे की दोनों की वोटटिया पंजाब से ही लाना जिसमे भारतीय संस्कार हो। तो आप भी अगर कुछ देना चाहते है तो उसे पेसो के रूप में बेहराम को दे दीजिये ये कनाडा जा कर उसे डॉलर में करके सोनम बेटी के अकाउंट में डाल देगा ताकि वो भी उन पेसो से कुछ कर सके । बाकी आपकी मर्ज़ी" बेहराम की चाची ने कहा
"तुस्सी सच्ची ग़ल्ला कित्ती हो रिश्तेदारों को खिला कर और उन्हें शादी में बुलाकर सिर्फ खर्चे के कुछ हाथ नही लगता और पीट पीछे बुराई ही करते है खाने की, आप चिंता मत करो आप जैसा कह रही हो हम वैसा ही करेंगे पास पैसा होता है तो काम आता है क्यू ना सोनम के बाउजी सच्ची बात की है ना मेने " कुलवंत ने कहा
" अब मैं क्या दस्सू जो आप लोगो को सही लगे एक हफ्ते में सारी तैयारी करने से तो मैं रहा इससे अच्छा है की जो पैसे मेने सोनम के दहेज़ वास्ते जोड़ रखे थे वो मैं आपको दे दूंगा मैं कल ही बैंक जाकर सारे पैसे निकाल लाता हूँ और ज़मीन का टुकड़ा जो सोनम के नाम है उसे भी बेच दूंगा वैसे भी अब वो विदेश चली जाएगी अपने विदेशी दूल्हा के साथ तो ज़मीन तो बेकार पड़ी रहेगी " हरी सिंह ने कहा
बेहराम और सोनम अकेले में बाते करने गए । बेहराम ने उससे प्यार भरी बाते की सोनम भी उस की बातो में हाँ में हाँ मिलाती। शायद वो भी उसके साथ अपनी नयी ज़िन्दगी शुरू करना चाहती थी क्यूंकि यहाँ रहकर वो सतविंदर की शादी शुदा ज़िन्दगी ख़राब नही करना चाहती थी ।
इन 8 दिनों में बेहराम और सोनम रात रात भर खूब बाते करते सोनम को उससे मोहब्बत हो चली थी फिर 8 वे दिन गुरूद्वारे में सोनम का व्याह हो गया बेहराम के साथ सिर्फ घर वालो की मौजूदगी में।कुलवंत आज खुश थी बहुत अपना सपना हकीकत में बदलता देख हरी सिंह भी खुश था की उसकी वोट्टी का सपना सच हो रहा है उसकी कोशिश कामयाबी में बदल चुकी थी ।
वो ब्याह कर एक होटल में आयी क्यूंकि दो दिन बाद उन्हें कनाडा जाना था आज सोनम और बेहराम की सुहागरात थी । बेहराम ने सोनम से प्यार भरी बाते की सोनम सतविंदर को भूल चुकी थी और अब वो बेहराम के नजदीक आ चुकी थी बेहराम भी उसे पाकर खुश था ।
अगली सुबह सोनम की जब आँख खुली तो देखा बेहराम कमरे में नही था उसने कमरे में हर जगह देखा उसे फ़ोन लगाया जो स्विच ऑफ जा रहा था ।उसने पास ही के कमरे में ठहरी बेहराम की चाची और भाभी को देखा वो भी कमरे में नही थी वो घबरा कर नीचे रिसेप्शन पर आयी और बेहराम के बारे में पूछा
रिसेप्शन पर खड़े लड़के ने जो कहा उसे सुन सोनम के होश उड़ गए उसने कहा " की आप के साथ जो आदमी थे वो अपनी पत्नि किरण और सास के साथ कनाडा के लिए निकल गए है और ये लिफाफा आपको देने को कहा "
"पत्नि नही,,,, नही,,,,, ऐसा नही हो सकता है , ज़रूर तुम्हे कोई गलत फ़हमी हुयी है वो तो उसकी भाभी थी और वो औरत चाची " सोनम ने हकलाते हुए कहा
"नही मैडम हमारे पास बुकिंग है जिसमे उन्होंने किरण के साथ अपना सम्बन्ध पत्नि का और उस औरत के साथ सास का लिखवाया है और उन्होंने अपने लिए एक कमरा लिया था और सास के लिए अलग , अब आप बताये कोई अपनी पत्नि के साथ ही एक कमरा लेगा ना की किसी और के साथ ।" रिसेप्शनिस्ट ने कहा
सोनम ने माथा पकड़ लिया और उस लिफाफे को खोला जिसमे तलाक के पेपर थे जिनपर बेहराम के दस्तखत हुए थे और एक पर्ची थी जिस पर लिखा था " दस्तखत कर देना ताकि मुझसे तलाक मिल जाए वरना जिंदगी भर मेरी पत्नि बनी फिरती रहोगी तुम्हे पता चल ही गया होगा की तुम्हारे साथ किया हुआ है। हमें ढूंढ़ने की कोशिश भी मत करना वरना मारी जाओगी पूरे परिवार के साथ तुम्हारा विदेशी दूल्हा "
सोनम बेहोश हो गयी जब होश में आयी तो खुद को अस्पताल में पाया और बाहर उसकी माँ अपने किए पर रो रही थी क्यूंकि उन्हें भी सब पता चल गया था जब वो तलाक के पेपर लेकर पुलिस स्टेशन गए उनके खिलाफ रिपोर्ट लिखवाने .
तब पुलिस वाले ने बताया की " सिर्फ तुम ही नही इन तीन लोगो ने जिसमे से एक उस लड़के की बीवी है और दूसरी उस लड़की की माँ इन्होने पंजाब की बहुत सी बेटियों की माओ को कनाडा के ख्वाब दिखा कर उनकी बेटियों से शादी की है और एक रात गुज़ार कर उनका सारा पैसा लेकर फरार हो गए है अगर आप इस बारे में अपने रिश्तेदारों को बताती तो शायद कोई ना कोई होता जिसे इन लोगो ने ठगा होगा तो वो आपको बता देता तो आज आपकी बेटी बच गयी होती उन लोगो के हाथो से। अब कुछ नही हो सकता सिवाय पछताने के अब हम कनाडा जाकर तो उन्हें पकड़ने से रहे ये आप लोगो की गलती है क्यू उन लोगो पर अंधा भरोसा किया और एक विदेशी दूल्हे के हाथो अपनी बेटी ब्याह दी "
सोनम बेचारी मोहब्बत से मेहरूम ही रह गयी ना तो सतविंदर की मोहब्बत मिली और जिसकी मिली वो धोकेबाज़ निकला शायद ।
उसकी माँ अपने किए पर शर्मिंदा थी । हरी सिंह ने उससे कहा " सानू कालजे विच ठण्ड पे गयी अपनी कुड़ी नु इस हालत विच देखकर, मेनू डर था की तू अपनी जिद्द नाल मेरी कुड़ी की जिंदगी दांव पर लगा देगी, मेनू सदमा इस बात का नही कि वो मेरा पैसा ले गए
पैसा तो मैं और कमा लूँगा लेकिन वो मेरी कुड़ी का दिल तोड़ कर चले गए जिसे शायद मैं कभी नही जोड़ पाउँगा "
"मेनू माफ करदो सरदारा , मुझसे भूल हो गयी मैं अंधी हो गयी थी विदेशी दूल्हा ढूंढ़ने के चक्कर में अपनी कुड़ी की जिंदगी बर्बाद कर देती में उससे उसका प्यार छीन लिया में एक अच्छी बेबे नही हूँ " कुलवंत ने कहा
सोनम घर आ चुकी थी वो उदास थी उसने अपनी माँ से भी कुछ नही कहा, अपनी किस्मत का लिखा समझ कर बर्दाश कर लिया। एक हफ्ते बाद वो बेहोश हो कर गिर गयी डॉक्टर ने बताया सड्डी कुड़ी पेट से है बहुत बहुत मुबारक तानु।
नही जानते थे की ख़ुशी मनाये या अफ़सोस करे वो उसे गिरा देना चाहते थे । लेकिन सोनम ने कहा " नही इस बार नही बेबे मैं तुझे अब किसी और की जिंदगी बर्बाद नही करने दूँगी और उसकी तो बिलकुल नही जो अभी इस दुनिया में आया ही नही, इसमें इस का क्या कसूर मैं इसे पैदा करूंगी और पालूंगी भी ताकि आपको जिंदगी भर पछतावा रहे अपने गुनाह का जो आपने मेरे साथ किया और उस सतविंदर के साथ किया था उसको बेइज़्ज़त करके घर से निकाला इसलिए की वो काला था मेरी जोड़ी उसके साथ मखमल में टाट का पेवंद जैसी थी । लेकिन वाहेगुरु जी ने आपको दिखा दिया मर्द सूरत से नही सीरत से पहचाना जाता है वो भले ही टाट का पेवंद था मेरे लिए लेकिन उससे बेहतर था जो अब मुझे लूट कर चला गया और अपनी निशानी छोड़ गया मेरे अंदर ।
सोनम ने अकेले ही बेहराम की निशानी को पाला। कुलवंत उसे देख कर रोज़ अपने किए पर शर्मिंदा होती।
जेनर = प्रेम
Shnaya
02-Jun-2022 04:13 PM
👏👌
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Seema Priyadarshini sahay
31-May-2022 10:04 PM
Nice story
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Simran Bhagat
10-May-2022 08:54 PM
Nice
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